पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “कुमारी दीपा” की एक कविता जिसका शीर्षक है “जीवन एक पहेली”:
उलझी - सुलझी शब्दों का
जीवन है एक पहेली,
कभी दिखता सब कुछ साफ
कभी दिखती परेशानी अकेली
जीवन है एक पहेली।
जो देखे जैसे शब्दों के अर्थ
लगे वही, जीवन है एक पहेली।
मतलब के लिए पहचान भली,
रोज आती है समस्या नई,
इससे लगता है जीवन है एक पहेली।
गिरते हैं सिर्फ पत्ते पर लगी रहती
है डाली,जो गिर जाते हैं पत्ते उनका मोल
कन्हा रहता है, जो सखा लगी रहे पेड़ों से
वही तो अपना है, उस पर अफसोस कहां
होता है, जीवन है एक पहेली।
जीवन है एक पहेली।