पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार “डॉ• विनय कुमार श्रीवास्तव” की
एक कविता जिसका
शीर्षक है “खुशी और दीपों का पर्व दीवाली”:
झिलमिल सितारों की लड़ियाँ सजेंगी,
बिजली की झालर व
मोमबत्ती लगेंगी।
दीपक जलेगा एवं
फुलझड़ियाँ जलेंगी,
असंख्य दीपों का
त्यौहार सुंदर जलेंगी।
श्रीराम जी के
अयोध्या वापसी से ख़ुशी,
मनाते सभी
हैं दीपावली मना के ख़ुशी।
गणेश-लक्ष्मी जी
की होये पूजा घर-घर,
धूप, दीप, अगरबत्ती,
फूल, माला रख कर।
लाई लावा चूड़ा
गट्टा रेवड़ी मिठाई फल,
अच्छत, रोली, हल्दी, कमल, लोटा में जल।
बच्चे बनाते हैं
घरघरौंदा भी खुश होकर,
ग्वालिन में
तेलबाती जलाते खुश होकर।
फोड़ते पटाखे
फुलझड़ियाँ भी हैं छुड़ाते,
चकरी दगे गड्डा
दगाते अनार भी छुड़ाते।
छोड़ें आसमानी
सरकपताली रंग बिरंगी,
दीवाली में दिखे
सारा आसमान सतरंगी।
ऐसे मनाते हैं
हिन्दू खुशियों की दीवाली,
सनातन धर्म का
रोशनी का पर्व दीवाली।
लंका के रावण पे
विजय पाकर वनवासी,
लौटे
श्रीराम-लक्ष्मण खुश अयोध्यावासी।
थाल सजा दीपक से
मायें व हर घरवाली,
फूलों की बौछार
करें फूलों से भरी थाली।
आरती उतारें हुई
पूरी अयोध्या मतवाली,
श्रीराम के
स्वागतमें होती है पर्व दीवाली।