पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “रविकान्त सनाढ्य” की एक कविता जिसका शीर्षक है “बीज की जीवनीशक्ति”:
बीज की जीवनी शक्ति देखिए,
एक हम हैं जो ज़रा सी कठिनाई आते ही
निराश और हताश
हो जाते हैं ।
यह भौतिक सुख-सुविधाओं में पलने का
'प्रसाद' है ।
इसीलिए मानव-मन में पलता अवसाद है ।
संघर्षशील का पर्याय है बीज !
नहीं है उसमें अनुत्साह या खीज !
ऊर्ध्वगामिता बीज के व्यक्तित्व की विशेषता है ।
विवशता को ओढ़ मानव ही उसे सहेजता है !
अपनी असफलताओं के गीत मानव ही उगेरता है !
संघर्षशीलता और जिजीविषा बीज की आत्मा में बसती है ।
इसीलिए विशाल वृक्ष
के रूप में उसकी हस्ती है ।
प्रकृति के इन उपादानों से
कुछ प्रेरणा लो मानव !
अपने सोच को दिशा दो
अभिनव !
फिर विजय-श्री तुम्हारी होगी !
असफलता, निराशा और मायूसी तुम्हारे
शब्दकोश में नहीं होगी !