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कविता: प्यार एवं इश्क (नरेन्द्र सिंह, गया, बिहार)

 

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार नरेन्द्र सिंह की एक कविता  जिसका शीर्षक है “प्यार एवं इश्क":

प्यार एवं इश्क में बहुत ही बड़ा फर्क है ।।

एक अगर स्वर्ग है तो दूसरा बेडा गर्क है ।।

प्यार मे  वासना का कही स्थान नहीं है ।

पर इश्क तो वासना का दूसरा नाम ही है ।।

प्यार किसीसे कही भी खुले आम होता है 

पर इश्क के खुलने पर बुरा अंजाम होता है ।।

प्यार प्यारा होता है, सदा अनोखा ही होता है 

पर इश्क मे हमेशा धोखा ही धोखा होता है ।।

प्यार का फल सदा सच्चा एवं अनूठा होता है

पर इश्क का फल अक्सरहां झूठा ही होता है

प्यार में  ह्रदय सदा स्नेहिल एवं चंगा रहता है

पर इश्क में मन सदा उद्वेलित व अँधा रहता है

प्यार एक पवित्र बंधन जिसमे परमार्थ रहता है

इश्क एक इकरार है जिसमे मात्र स्वार्थ रहता है

प्यार का प्रभाव स्थायी एवं दीर्घ होता है

पर इश्क में मात्र क्षण भर के लिए तृप्त होता है ।।