पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार प्रीति शर्मा "असीम" की एक कविता जिसका शीर्षक है “आओ थोड़ा जी लेते हैं ":
आओ थोड़ा जी लेते
हैं ।
जीवन विष का
प्याला है।
अमृत कर के पी
लेते हैं।
मौत तो आनी है ,
एक दिन
उससे पहले,
आओ थोड़ा जी लेते
हैं।
कितना खुद को,
मारा पल- पल।
जीवन में सब ,
हारा पल -पल।
जो बचा हुआ है,
उसको हाथों में
भरकर।
सारी तमन्नायें
पी लेते हैं ।
आओ थोड़ा जी लेते
हैं।
किसका था इंतजार
हमें ।
क्या पाया जीवन
का सार ...प्रिय
दिन आते- जाते
रहते हैं।
सार्थक भी
निरर्थक हो रहते हैं।
फिर क्यों भागम-
भाग .....प्रिय ।
हम शून्य हुए
जाते हैं।
मर- मर कर जिए
जाते हैं।
आओ थोड़ा -सा ,
सच में जी लेते
हैं।
जीवन विष को ,
अमृत कर पी लेते हैं।