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कविता: आओ थोड़ा जी लेते हैं (प्रीति शर्मा "असीम", नालागढ़, हिमाचल प्रदेश)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार प्रीति शर्मा "असीम" की एक कविता  जिसका शीर्षक है “आओ थोड़ा जी लेते हैं ":

आओ थोड़ा जी लेते हैं ।

जीवन विष का प्याला है।

अमृत कर के पी लेते हैं।

 

मौत तो आनी है ,

एक दिन

उससे पहले,

आओ थोड़ा जी लेते हैं।

 

कितना खुद को,

मारा पल- पल।

जीवन में सब ,

हारा पल -पल।

जो बचा हुआ है,

उसको हाथों में भरकर।

 

सारी तमन्नायें पी लेते हैं ।

आओ थोड़ा जी लेते हैं।

 

किसका था इंतजार हमें ।

क्या पाया जीवन का सार ...प्रिय

दिन आते- जाते रहते हैं।

सार्थक भी निरर्थक हो रहते हैं।

फिर क्यों भागम- भाग .....प्रिय ।

 

हम शून्य हुए जाते हैं।

मर- मर कर जिए जाते हैं।

आओ थोड़ा -सा ,

सच में जी लेते हैं।

जीवन विष को ,

अमृत कर पी लेते हैं।