पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार रवि किशन “शिवा” की एक कविता जिसका शीर्षक है “जंगल में बारात":
जंगल की ये रात कुछ खास थी
आई चिम्पू बंदर की बारात थी
लगा बड़ा सा सामियाना
हुआ शुरू था गाना बजाना
हर तरफ मोगड़े की फैली सुगंध
भोजन का भी था उत्तम प्रबंध
समोसे ,हलवा और जलेबी राबड़ी
रसगुल्ले, बर्फी और चाट पापड़ी
भालू फिल्मी धुन पर नाच रहा था
हिरन मीठा शरबत बांट रहा था
झलक दिखला जा झलक दिखला जा
खरगोश ने भी गाया एक बार आजा एक बार आजा
समय हुआ वरमाले की जब बारी आई
दूल्हे बंदर ने मुंह बिचकाई और आंख दिखाई
बोला उछलकर शादी तब तक नही मनेगी
साइकिल जब तक हीरो की नही मिलेगी