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लघुकथा: स्वतंत्रता दिवस (नीतू पुरोहित, भीलवाड़ा, राजस्थान)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार नीतू पुरोहित की एक लघुकथा  जिसका शीर्षक है “स्वतंत्रता दिवस":

        स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में एक संस्था द्वारा  " एक शाम शहीदों के नाम" से कवि सम्मेलन का आयोजन रखा गया l  जिसमें वरिष्ठ साहित्यकारों के साथ कुछ नवोदित कवियों को भी अवसर दिया गया l  मंच की औपचारिकताओं के साथ काव्य पाठ आरम्भ हुआ 2/3 कवियों के काव्य पाठ के बाद नवाकुंर कवि शेखर जी को आदर पूर्वक मंच पर आमंत्रित किया गया

        शेखर जी बड़े उत्साह के साथ माइक पकड़ते है ... "आदरणीय आयोजक महोदय, मंचासीन गणमान्य सभी कवि महोदय और आदरणीय श्रोताओं आज स्वतंत्रता दिवस है , स्वतंत्रता प्रत्येक नागरिक का अधिकार है ये मंच हम कवियों को वैचारिक स्वतंत्रता देता है और एक कवि अपने मौलिक भावों को कविता के माध्यम से आप तक पहुँचाता है तो मैं ज्यादा वक्त ना लेते हुए आपके सामने मेरी एक मौलिक स्वरचित रचना देश के सैनिकों को समर्पित करता हूँ जिसका शीर्षक है

        आजादी के दीवाने... तालियों के साथ ही हम आजादी के दीवाने है.. कविता पढने लगता है 2 आइन बोलते ही मंच पर कानाफूसी शुरू हो जाती है क्योंकि उस रचना के वास्तविक रचनाकार मंच पर थे और साथी कवियों ने कईं बार उनके द्वारा इस रचना को सुना जा चुका था  l काव्य पाठ सम्पन्न होने के बाद जैसे ही शेखर जी अपना स्थान ग्रहण करने लगे वरिष्ठ कवि जगदीश जी ने कहा बहुत खूब बेटा  स्वतंत्रता का लाभ लेना चाहिए लेकिन दूसरों की स्वतंत्रता का हनन किए बीना... वरिष्ठ कवि कमलेश जी की ओर इशारा करते हुए परिचय करवाया इनसे मिलिए ये है वरिष्ठ कवि कमलेश "कलम "तुम्हारे द्वारा सुनाई गई प्रसिद्ध कविता" आजादी के दीवाने "के रचयिता l