पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार प्रीतिका छेत्री की एक कविता जिसका शीर्षक है “इंसान हैं हम":
कहते हैं की इंसान हैं हम...
बहुत ही संवेदनशील एवं दयावान हैं
इंसान हैं हम..
कभी किसी से छोटी सी भूल हो जाय तो सवाल खड़े हो जाते हैं
इंसानियत पर..
जी हाँ इंसान हैं हम..
जगद के सबसे बुद्धिमान प्राणि,
चाहे तो पुरे ब्रह्माण्ड को वश में कर ले..
बस यु कहिए की ईश्वर का साक्षात वरदान हैं हम..
पर क्या सच में ?? यही हैं
मायने इंसानियत के?? की आज..
काँट डाले हमने पकृति के वृक्ष,
मार डाले हमने असंख्य प्राणी,
बना लिए इतिहास हमने करके कई नरसंहार,
ना बीज बोने को मिट्टी रखे हमने ना पीने को पानी..
अपने हिस्से की छोड़ो औरों के हिस्सों को छिन लेना हो गई हमारी आदत पुरानी..
अरे मैंने तो इंसान के अलावा सभी जीव में देखी हैं इंसान से ज़्यादा
इंसानियत...
जाति धर्म वेषभूषा रंगरूप से एक दूसरे को अलग करने वाले इंसान हैं हम..
अपने स्वार्थ के आगे सबकुछ दाव पर लगा
सकते हैं ..जी हाँ इंसान हैं हम..
डुब जाती हैं शर्म से मेरी मस्तक जब कोई गर्व से कहता हैं की इंसान हैं हम..