Welcome to the Official Web Portal of Lakshyavedh Group of Firms

कविता: नारी, अपने को पहचानो ! (रविकान्त सनाढ्य, भीलवाड़ा, राजस्थान)



पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार रविकान्त सनाढ्य की एक कविता  जिसका शीर्षक है “नारी, अपने को पहचानो !":

नारी, तुम वरेण्य हो,

तुम्हारा दायित्व है भारी !

तुम परिवार  को देती हो गति,

न कोई विश्राम न कोई यति !

 

तुम कमनीय हो कविता- सी,

तुम तेजोमय हो सविता - सी ।

महनीय हैं तुम्हारे सामाजिक सरोकार ,

तुम देती हो समाज को चरित्र और

संस्कार !

 

तुम प्राची की अनुरागमयी 

लाली हो ,

विनम्रता से झुकी डाली हो !

 

कृतघ्न है वह जो

आँक नहीं पाया तुम्हारे उपकार ,

ज़माने ने किया तुम पर बहुत

अत्याचार !

 

तुम स्वाति- बूंद की अमूल्य

मोती हो !

अपने मूल्य को आँको ,

अपनी अस्मिता की संचेतना

में झाँको  !

 

नारी कभी भी लाचार नहीं  

होती ।

जाग्रत नारी है राष्ट्र की

जीवन- ज्योती ।।