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कविता: जय श्रीगणेश (अतुल पाठक "धैर्य", जनपद हाथरस, उत्तर प्रदेश)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार अतुल पाठक "धैर्य"  की एक कविता  जिसका शीर्षक है “जय श्रीगणेश":

नया काम कोई भी करता,

जय श्रीगणेश है नाम वो लेता।

 

सबसे पहले पूजा जाता,

वह हैं ऋद्धि सिद्धि के दाता।


मोदक उनको बहुत है भाता,

हम सबके वह भाग्यविधाता।

 

मूषक है गणपति की सवारी,

पूजें घर-घर नर और नारी।

 

शिव पार्वती के राजदुलारे,

गणपति जी सबके हैं प्यारे।

 

भक्ति करो मन से गणेश की,

हरते हैं सबके दुःख क्लेशजी।

 

देवलोक के तुम सरताज,

शत-शत नमन करें हे विघ्नराज।