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कविता: हम जीत ही जायेंगे (सरिता श्रीवास्तव, बर्नपुर, आसनसोल, बर्धमान, पश्चिम बंगाल)

 

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार सरिता श्रीवास्तव की एक कविता  जिसका शीर्षक है “हम जीत ही जायेंगे":

हम जीते नही अभी पर जीत जायेंगे,

तकदीर भी गर रुठे तो भी हिम्मत ना हारेंगे,

हार का तो हमे जरा भी डर नही,

तो कैसे ये मान ले हम हार जायेंगे?

है हौशलें बुलंद हम जीत ही जायेंगे••••

 

जिस जंग को लड़ने हम सब चले,

जहाँ जीत और हार बस दो ही विकल्प बने,

हारे अगर हम आज तो,

कल जीत को भी गले लगाएंगे,

है हौशलें बुलन्द हम जीत ही जायेंगे••••

 

वक़्त भले गुजरता जाए थामे हौशलों को,

जितना किये उससे ज्यादा कोशिश कर जायेंगे,

ख्वाहिशों मे रंग भर आसमानों मे सजायेंगे,

सपने सच कर अब दुनिया को भी दिखाएंगे,

है हौशलें बुलन्द हम जीत ही जायेंगे••••

 

गिर गए यदि राहों पर फिर उठ खड़े होंगे,

आये मन में निराशा तो भी चेहरे पर मुस्कान सजायेंगे,

तय कर लिया अब जो भी हो बस,

हर मुश्किलों को अब हँस कर पार कर जायेंगे,

है हौशलें बुलंद हम जीत ही जायेंगे

है हौशलें बुलंद हम जीत है जायेंगे••••