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कविता: अपनी वाणी से ही आदमी खासों आम होता है (एस के कपूर "श्री हंस", बरेली, उत्तर प्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार एस के कपूर "श्री हंस" की एक कविता  जिसका शीर्षक है “अपनी वाणी से ही आदमी खासों आम होता है":

आदमी की असली  पहचान तो

उसकी जुबान से होती है।

होता   दूसरों पर     कितना  वह

मेहरबान    से    होती  है।।

हर दिल में      जगह      आदमी

की  यूँ    ही   नहीं बनती।

व्यक्ति की  पहचान   ही   उसके

इसी    भान   से   होती है।।

 

बोलिये यूँ  कि दूसरों     के  दिल

में   आप   उतर   जाईये।

सवेंदनायों का   ज्वार    बातों में

भर   कर   जरा   लाईये।।

लफ्ज़ और लहज़ा    जो जाकर

अंतर्मन   को    छू  जाये।

मत बोलिये कभी   यूँ  कि  दिल

से किसी के उतर आईये।।

 

वाणी से   ही   मनुष्य   का   हर

गुण गान    होता    है।

मान अपमान वाणी से ही व्यक्ति

का सम्मान   होता  है।।

अमृत जहर   दोंनों ही   हैं हमारी

जिव्हा   में    समाये।

अपने अंदाज़े बयाँ से ही  आदमी

खासों आम होता है।।