आदमी की असली पहचान तो
उसकी जुबान से होती है।
होता दूसरों पर कितना
वह
मेहरबान से होती
है।।
हर दिल में जगह आदमी
की यूँ ही
नहीं बनती।
व्यक्ति की पहचान ही
उसके
इसी भान से
होती है।।
बोलिये यूँ कि दूसरों के
दिल
में आप उतर
जाईये।
सवेंदनायों का ज्वार बातों में
भर कर जरा
लाईये।।
लफ्ज़ और लहज़ा जो जाकर
अंतर्मन को छू
जाये।
मत बोलिये कभी यूँ कि दिल
से किसी के उतर आईये।।
वाणी से ही मनुष्य
का हर
गुण गान होता है।
मान अपमान वाणी से ही व्यक्ति
का सम्मान होता है।।
अमृत जहर दोंनों ही हैं हमारी
जिव्हा में समाये।
अपने अंदाज़े बयाँ से ही आदमी
खासों आम होता है।।