Welcome to the Official Web Portal of Lakshyavedh Group of Firms

लघुकथा: कोरोना एक वरदान (कल्पना गुप्ता "रतन", जम्मू एंड कश्मीर)

 

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार कल्पना गुप्ता "रतन" की एक लघुकथा  जिसका शीर्षक है “कोरोना एक वरदान ":

सीता एक निम्न वर्ग के बिटिया थी।

वह तीन बच्चों में से सबसे बड़ी बेटी थी। उसके माता -पिता बहुत ही गरीब थे। विकास सब्जी की रेहड़ी लगाते थे और मां घर में सिलाई का काम करती थी।

सब अच्छा चल रहा था। सीता ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी, पर दिखने में सुशील तथा सुंदर थी। वह एक लड़के से प्यार करती थी, वह लड़का भी उसे बहुत पसंद करता था, जो कि एक मध्यवर्गीय परिवार का इकलौता बेटा था। अपने मम्मी पापा की मर्जी से ब्याह करना चाहता था। उसके लिए सिर्फ एक शर्त थी, वह थी

बारातियों का अच्छे से स्वागत एक अच्छे बड़े बैंकट हॉल में। एक गरीब परिवार के लिए यह सब बहुत कठिन, अगर कहे तो नामुमकिन सा था। जैसे कैसे उन्होंने यहां वहां से पैसे इकट्ठे कर तैयारी आरंभ की।

उनके और भी दो बच्चे थे, वे नहीं चाहते थे कि बड़ी लड़की की शादी में कोई भी विघ्न पड़े। लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। विघ्न तो पड़ा, लेकिन विवाह में नहीं, पूरे विश्व में कोरोना के रूप में।

 

सीता और राजेश का विवाह समारोह बिल्कुल सादे रीति रिवाज के साथ संपन्न हो गया, 10 से 20 लोगों के साथ।

किस्मत वाली सीता मां बाप के सर पर बोझ नहीं बनी।

 

कोरोना वरदान साबित हुआ उस गरीब परिवार के लिए,

सीता और राजेश के लिए।


दोनों परिवार हंसी खुशी जिंदगी गुज़ार रहें हैं।