पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार डॉ अवधेश कुमार “अवध” की एक कविता जिसका शीर्षक है “बूढ़े शेर”:
स्वयं के हाथ से भी हाथ अपना काट लेते हैं,
आजादी के दिवाने देश का सौदा नहीं करते।
जरूरत जब पड़ी हो देश को ताजे लहू की तो,
हमारे शेर बूढ़े
वक्त को खोया नहीं करते।
जवानों की चुनौती
को करारी मात दे देते,
लगे तन पर हजारों घाव को देखा नहीं करते।
कोई बाबर कोई डगलस कोई बनवीर आ जाए,
वतन के वास्ते परिवार को रोका नहीं करते।
इन्हें अपने रियासत की कभी चिंता नहीं लेकिन,
अगर हो बात भारत की तो घर ठहरा नहीं करते।
अवध जगदीशपुर का नाम लिक्खा है तवारिख़ में,
कुंवर दुश्मन को जिंदा युद्ध में छोड़ा नहीं करते।