पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार शमा जैन सिंघल की
एक लघुकथा जिसका
शीर्षक है “मातृभाषा
का सम्मान":
अपनी भाषा का हर किसी को सम्मान करना चाहिए! मातृभाषा मां के समान होती है !जब तक हम अपनी मां का सम्मान नहीं करेंगे तब तक दुसरा भी उसका सम्मान नहीं करेगा, पेश है इससे जुड़ी एक लघु कथा!
एक बार एक भारतीय और एक विदेशी आपस में वार्तालाप कर रहे थे , दोनों ही एक -दुसरे की भाषा में बात कर रहे थे ! जब विदेशी हिंदी में बात करता तो भारतीय उसकी मातृभाषा में बात करता और जब वह अपनी मातृभाषा में बात करता तो भारतीय हिन्दी में बात करता , ऐसा बहुत देर तक चलता रहा ! अब विदेशी से रहा नहीं गया उसने उस भारतीय से पूछ लिया कि जब मैं तुम्हारी भाषा में बात करता हूं तो तुम मेरी भाषा में बात करते हो नहीं तो तुम हिंदी में बात करते हो ऐसा क्यूं , भारतीय ने बड़े गर्व से कहा जब तक तुमने मेरी मां यानि कि मेरी मातृभाषा का सम्मान किया तब तक मैंने भी तुम्हारी मातृभाषा का सम्मान किया ! अगर तुम्हें अपनी भाषा प्यारी है तो मुझे भी अपनी हिंदी भाषा प्यारी है !
शिक्षा:- अपनी भाषा , अपनी संस्कृति का हमेशा सम्मान करें !
"अ से अनपढ़ से बाहर निकाल
ज्ञ से ज्ञानी बना हमारा मान बढ़ाती"
अपनी भाषा का हर किसी को सम्मान करना चाहिए! मातृभाषा मां के समान होती है !जब तक हम अपनी मां का सम्मान नहीं करेंगे तब तक दुसरा भी उसका सम्मान नहीं करेगा, पेश है इससे जुड़ी एक लघु कथा!
एक बार एक भारतीय और एक विदेशी आपस में वार्तालाप कर रहे थे , दोनों ही एक -दुसरे की भाषा में बात कर रहे थे ! जब विदेशी हिंदी में बात करता तो भारतीय उसकी मातृभाषा में बात करता और जब वह अपनी मातृभाषा में बात करता तो भारतीय हिन्दी में बात करता , ऐसा बहुत देर तक चलता रहा ! अब विदेशी से रहा नहीं गया उसने उस भारतीय से पूछ लिया कि जब मैं तुम्हारी भाषा में बात करता हूं तो तुम मेरी भाषा में बात करते हो नहीं तो तुम हिंदी में बात करते हो ऐसा क्यूं , भारतीय ने बड़े गर्व से कहा जब तक तुमने मेरी मां यानि कि मेरी मातृभाषा का सम्मान किया तब तक मैंने भी तुम्हारी मातृभाषा का सम्मान किया ! अगर तुम्हें अपनी भाषा प्यारी है तो मुझे भी अपनी हिंदी भाषा प्यारी है !
शिक्षा:- अपनी भाषा , अपनी संस्कृति का हमेशा सम्मान करें !
"अ से अनपढ़ से बाहर निकाल
ज्ञ से ज्ञानी बना हमारा मान बढ़ाती"