पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार पंकज कुमार ठाकुर
"उम्मीद" की
एक कविता जिसका शीर्षक है “शिक्षक की नज़र":
गिलासों को ढ़ोते हुये
नजर पड़ी उसकी स्कूली बच्चों के बस्ते पर,
पर आँखें नहीं
एकटक निहारा कल को
बस्ते में दिखे सपनों को
गंदी मटमैली कमीज
को बदलते देखा
विद्यालय की पोशाक में,
दहलीज़ पर
गांधी की राह पर
सत्य के उफान पर
ख़ुशी में भूल गया आज की भूख को
बस देखा खुद को
अफ़सरों की कुर्सी पर।
सपना गया टूट
फिर वहीं चाय की दुकान
गालियों की बौछार
और दूर जाती किताब
शिक्षक देख रहे थे
प्रतिभा के इस धनुष को,
देखा उसमें कल के चन्द्रगुप्त को
बन चाणक्य तैयार किया उसके शमशीर को ।।