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कविता: शिक्षक मेरा अभिमान (सुखविंद्र सिंह मनसीरत, खेड़ी राओ वाली, कैथल, हरियाणा)

 

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार सुखविंद्र सिंह मनसीरत की एक कविता  जिसका शीर्षक है “शिक्षक मेरा अभिमान ":

गुरु  बिना  गति नहीं कह गए लोग विद्वान
शिक्षक सम्मान कीजिए,जग में ऊँची शान
 
शिक्षक दर्जा होता है देवी देवताओं समान
अज्ञानी  को तराश कर बना देता है विद्वान
 
ज्ञान  बाँटना  जगत में है शिक्षक का काम
झोली भर के लीजिए ज्ञान मिले बिन दाम
 
राष्ट्र निर्माण में शिक्षक का अहम योगदान
जहां गुरु विराजमान हो वहांँ राहें आसान
 
अनुशासनप्रिय  सदभावी ज्ञान का भंडार
शिक्षार्थी का सर्वांगीण करे विकास अपार
 
शिक्षक  दिवस साल  में आता है एक बार
अर्पित शिक्षक को करें श्रद्धापुष्प पुरस्कार
 
शिक्षक शिक्षार्थी  का करे भविष्य निर्माण
निस्वार्थ भाव ज्ञानार्जन से राहें हों आसान
 
शिक्षक मेरा अभिमान ,कोटि कोटि प्रणाम
समस्त  शिक्षक वर्ग को शत शत है सलाम
 
मनसीरत  करबद्ध  गुरुजन हार्दिक आभार
स्वर्णिम जीवन हेतु वंदन अभिनंदन साभार