पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार निशा ठाकुर की एक कविता जिसका शीर्षक है “प्रकृति":
ये "प्रकृति"
हर पल,हर वक़्त
हमसे कुछ कहती हैं
सिखाती हैं , समझाती है
महसूस कराती है!
ये प्रकृति
हर पल, हर वक़्त
हमसे कुछ कहती है!!
मानो गमो का अंधेरा,
उदासी , मायूसी में भी,
पवित्र और शीतल धारा,
मंजिल की, राह से हटाना
और साथ ही बिना स्वार्थ भाव के,
और देखते - देखते पेड़ का बनना
मानो कीसमत से , लड़ झगड़ कर,
और शान से सर उठा कर,
हमसे कुछ कहती है,
हमे महसुस कराती हैं
मानो दुःख के अंधियारी में,
और काजल सी घनघोर रात को,
नन्ही चिटियो का,
और मिट्टी की गोधूलि खुशबू
शुद्धता का एहसास दिलाना
मानव जाती को सिखाती हैं
प्रमाण देती हैं
अपनी उपस्थिति का,
हर पल, हर वक़्त
हमसे कुछ कहती हैं
सिखाती हैं, समझाती है
हम महसूस कराती हैं