पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार संगीता प्रभात सिंह राजपूत की एक कविता जिसका शीर्षक है “गुरु":
जीवन मे एक गुरु तो होना ही चाहिए।
जीवन मे गुरु का स्थान तो होना चाहिये ।
कहते है सबसे पहले बच्चे की गुरु मां ही होती है ।
गुरु सिखाता है ,अच्छे संस्कार
गुरु सिखाता माता पिता ओर बडो का आदर करना ।
गुरु कभी प्रेम से तो कभी मारकर सिखाता ।
गुरु सिखाता कठिनाइयों का सामना. करना ।
गुरु सिखाता बुराई से दूर रहो अच्छाई को अपनाओ ।
गुरु हमे अंधकार से उजाला की ओर लाता
गुरु भटके को राह दिखाता, गिरतो को संभलता है ।
गुरु आप से आपकी पहचान कराता जीवन दर्शन कराता ।
गुरु हमे हीरे की तरह तराशता
गुरु हमेशा अपने शिष्य को आगे बढते देखना चाहता है
ऊँचाइयों को छूने को कहता है