Welcome to the Official Web Portal of Lakshyavedh Group of Firms

कविता: हिन्दी की बिंदी (प्रेम बजाज, जगाधरी, यमुनानगर, हरियाणा)

 

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार प्रेम बजाज की एक कविता  जिसका शीर्षक है “हिन्दी की बिंदी":

हिन्दी की बिंदी सुन्दर लगती है , ज्यों सुहागिन के माथे बिंदी सजती है ।
, , अं और के, , ग से सारे शब्दों ने लिया जन्म है, हिन्दी का
अस्तित्व अद्भुत, अजर और अमर है 
हिन्दू- मुस्लिम , सिख - ईसाई आपस में सब भाई - भाई ,हिन्दी ने ये बात सिखाई ।
हिन्दी सब को मन से जोड़ती , हमें सभ्यता की ओर मोड़ती 
हर हिन्दुस्तानी को प्यार हिंदी से , संस्कृति की पहचान हिंदी से ।
हर दिन, हर पल  रहते हम हिन्दी से दूर , विदेशी भाषाएं बोल-बोल कर
उच्च साबित करते हैं , हिंदी  में ना बात करके हिंदी को अपमानित करते हैं ।
हिन्दी की बहना उर्दू ने हमको शायरी सिखाई है , फिर कैसे कह दे
हम हिन्दी अपनी नहीं पराई है ।
हिन्दी बोलने - पढ़ने से भला क्यों आती हमको शर्म है ,
हिन्दू संस्कृति ही सबसे बड़ा धर्म है ।
मातृभाषा यही है , राष्ट्र भाषा यही है , कैसे ना हम इसका मान करें
आओ मिल कर सब हिंदी का उत्थान करें ।
एक दिन हिंदी दिवस मना कर तीर क्या कोई मार पाएगा ,
जो है सच्चा हिन्दू वो सदा ही हिंदी के गुण गाएगा ।
 
# सम्मानित करो राष्ट्र भाषा हम सब की यही अभिलाषा
#

Post a Comment

0 Comments