पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी
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आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार सुरेन सागर की एक कविता जिसका शीर्षक है “कुल कुटुम्ब सब खो गए”:
कुल कुटुम्ब सब खो गए
घर बेमानी हो गए
गुल ही छूमन्तर हो गए।
सब दिन संग रहते थे सारे
छुटे सब अब कोई न भाया
कुटुम्ब के थे नियम
रोज सुनाती अपनी जुबानी
आनन्द बड़ा था झूला खाने का
निर्मलता को पाता था
घर में अपने देख कुटुम्ब को बड़ा में इतराता था