पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार मईनुदीन कोहरी "नाचीज बीकानेरी" की एक कविता जिसका शीर्षक है “शिक्षक":
मेरे उस्ताद जी मेरे गुरू जी
मुझ पर अनन्त कृपा आपकी
सौम्य अति प्रसन्न रुप आपका
आपके दर्शन ही है सुखकारी ।
तुम किसी संत से कम नहीं
आपकी सुन्दर मूरत ही न्यारी
ज्ञान का जो दान देकर मुझे
आपने ही बनाया था संस्कारी ।
मेरे मन के विकार सब दूर हुवै
जब से गुरुवर दर्शन लाभ हुवै
धर्म-कर्म दुनियाँ का ज्ञान दिया
जीवन भर का मैं हूँ आभारी ।
गुरू-उस्ताद बिन ज्ञान अधूरा
इनकी कृपा से ही जीवन पूरा
सृष्टि की अतुल्य निधि हो आप
"नाचीज" की नैया आपने तारी ।