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घनाक्षरी छंद: हिंदी जिंदगी है मेरी (नंदन मिश्र, जहानाबाद, बिहार)

 


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार नंदन मिश्र का एक घनाक्षरी छंद  जिसका शीर्षक है “हिंदी जिंदगी है मेरी”:

हिंदी से जिंदगी में सरलता सबलता जी,
पूर्ण आत्मा सहज  संस्कार लगने  लगी।
 
मुरझाई थी सुमन कहीं  जिंदगी की मेरी,
तो हिंदी ही जीने का आधार लगने लगी।
 
पढ़  पढ़ के अंग्रेजी खुद से  बिछड़ गया,
तो  हिंदी जीने का व्यवहार लगने  लगी।
 
अनबन  खटपट  होने  लगी  जिंदगी में,
तब हिंदी  ज़िन्दगी में प्यार  लगने लगी।