पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार निशा गुप्ता की एक कविता जिसका शीर्षक है “मधुर मिलन ”:
शाम की मधुर बेला हो
तेरा हाथ मेरे हाथ मे हो
ठंडी हवा,सुहाना मौसम हो
नदी का किनारा,जहाँ दोनों बैठे हो
और नजरों से ही मधुर मिलन हो !
चारों और लाली माँ हो
तेरे कंधे पे मेरा सर हो
आँखों ही आँखों से बातें हो
मन मे प्रेम के बीज अंकुरित हो
और नजरों से ही मधुर मिलन हो !
चारों और हरियाली छाई हो
सांसो से सांसो का मिलन हो
ना बिछड़ेंगे ये पक्का इरादा हो
साथ जीना, साथ मरने का वादा हो
और नजरों से ही मधुर मिलन हो !
अंधेरा घना छा गया हो
तेरे साथ डर का कोई अहसास ना हो
खवाबो मे दोनों खो चुके हो
सपनों मे प्रेम जाल बुन रहें हो
और नजरों से ही मधुर मिलन हो
तेरा हाथ मेरे हाथ मे हो
ठंडी हवा,सुहाना मौसम हो
नदी का किनारा,जहाँ दोनों बैठे हो
और नजरों से ही मधुर मिलन हो !
तेरे कंधे पे मेरा सर हो
आँखों ही आँखों से बातें हो
मन मे प्रेम के बीज अंकुरित हो
और नजरों से ही मधुर मिलन हो !
सांसो से सांसो का मिलन हो
ना बिछड़ेंगे ये पक्का इरादा हो
साथ जीना, साथ मरने का वादा हो
और नजरों से ही मधुर मिलन हो !
तेरे साथ डर का कोई अहसास ना हो
खवाबो मे दोनों खो चुके हो
सपनों मे प्रेम जाल बुन रहें हो
और नजरों से ही मधुर मिलन हो