Welcome to the Official Web Portal of Lakshyavedh Group of Firms

कविता: प्रकृति की ओर से (कविता शर्मा, गंगटोक, सिक्किम)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार कविता शर्मा की एक कविता  जिसका शीर्षक है “प्रकृति की ओर से”:

मैं चीख - चीख कर कहती रही मुझे जीने दो,
तुम मुझे जिर्ण शीर्ण करते गए। 
मुझे काटे गए और मैं दवा लगाती गई,
आज देखो !तुम अपने ही कारण मृत्यु की ओर चल दिए,
और मुझे फिर जीने का अवसर मिल गया,
आज मुझे भी खेलने का मौका मिल गया।
नहीं तो तुम मेरे खिलने से पहले,
मेरी बिक्री और खरीद की चिंता में डूबे रहते थे।
तुमने मानवता को ही नष्ट कर दिया।
हर वस्तु का तोल मोल किया,
हर रिश्ते से मुनाफे तुमने कमाए।
चांद तारों से लेकर मिट्टी तक
तुमने अपने नाम कर लिया,
फिर भी आज तुम  हार गए।।