पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार कुमुद "अनुन्जया" की एक कविता जिसका शीर्षक है “मुझे शिकायत है”:
मुझे शिकायत है मेरी लेखनी से
ये थोड़ी एकहरी हो रही है
नेलपॉलिश के रंग बिरंगे रंगों मे
इसकी कोई रूचि नहीं है।
आटा बेसन मसालों से
अठखेलियाँ करती अंगुलियां
खेतों की मिट्टी और गोबर मे सने
हथेलियों को एकबार चूमना चाहती है
ये थोड़ी एकहरी हो रही है
मोहपाश मे जकड़ नहीं पाते
ये तो मंत्रमुग्ध है
की बोर्ड, कूची,चाक डस्टर और
कलम से अठखेलियाँ करती
धागो से डिजाइन काढ़ती अंगुलियों पे
ये थोड़ी एकहरी हो रही है
सजना है मुझे सजना के लिए
यह तो नैन मटक्का करना चाहती है
उन चमकती आँखो से जो सूज गई हैं
देर रात ढिबरी मे पढ़कर
रतजगे कर स्लाइड्स बनाकर
प्रयोगशालाओं मे उम्र झोंककर
आसमान को हौंसले से नापकर
ये थोड़ी एकहरी हो रही है
हाँ मुझे शिकायत है मेरी लेखनी से