पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार डिंपल राठौड़ "उर्मिल" की एक कविता जिसका शीर्षक है “अगर यही प्रेम है”:
सुनो..!!
तुम्हारे साथ होने से जीया है मैंने खुद को
तुम जब-जब होते हो पास मेरे
मैं तुम को महसूस कर पाती हूँ खुद में
जैसे बरसों बाद रेगिस्तान में उग आई हो हरियाली
तुम्हारी ये आँखें जब-जब मुझे देखती है
मैं दुनिया की सबसे खुशनुमा लड़की बन जाती हूँ
तुम जब मुझे मुस्कुरा कर कहते हो
कि सुन लो तुम्हें ही कह रहा हूँ
यकीन मानो मेरा
धड़कनें भूल जाती है पता अपना
रोम-रोम में समा जाता है सिर्फ एक नाम..
सुनो! ऊर्मिल
अगर यही प्रेम है
तो बेहद, बेइंतहा है तुमसे..!!