पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार प्रीतिका छेत्री की एक कविता जिसका शीर्षक है “मैं हिम्मत नहीं हारूँगी”:
चाहे हो जाय कुछ भी ज़िंदगी में,
हँसते रहे चाहे हालात मुझपे..
कोसते रहे चाहे समाज मुझे,
ना फ़र्क़ पड़ता मुझे उन सबसे,
हैं अपनी सोच अपने साथ..
मैं तो बस चलती रहूँगी अपनी राह पर,
मुस्कुराती सुबह फिर आयेंगी,
फिर हँसना सिखाएँगी,
तोड़ कर मुझे छलनी करे मेरी आत्मा को..
हो सकता हैं गिर जाऊँ ,
चल पड़ूँगी अपनी राह पर..
पर हिम्मत नहीं हारूँगी।
किसी और के गिराने से..
क्यों छोड़ दूँ मैं ख़ुश रहना ..
जीवन के दुखों को पाकर..
मैं तो जीतूँगी हर लड़ाई को,
ना करूँगी अपने आत्मा की हत्या मैं ..
जो मिला ईश्वर की वरदान से मेरी माँ को..
लिपट जाऊँगी अपने माँ की गोद में ,
मैं हार नहीं मानूँगी
मैं हालात से लड़ूँगी
मैं आगे ही बड़ूँगी
मैं हिम्मत नहीं हारूँगी
मैं हिम्मत नहीं हारूँगी ।