पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी
जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका
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आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार रंजना मिश्रा की एक कविता जिसका शीर्षक है “तू अटल मार्ग पर चलता चल”:
तू अटल मार्ग पर चलता चल
तू अकथ कहानी कहता चल
चाहे जितने कंटक आएं
चाहे जितनी बाधाएं हों
हो ऊंचे पर्वत पर चढ़ना
या टेढ़ी-मेढ़ी राहें हों
ये कदम तेरे न रुकें कभी
बस हर पल यूं ही चलता चल
तू अटल मार्ग पर चलता चल
तू अकथ कहानी कहता चल
तेरे अदम्य साहस से जब
बाधाएं ये टकराएंगी
तेरा अनिष्ट न कुछ होगा
ये चूर-चूर हो जाएंगी
तू बस आगे को बढ़ता चल
तू अटल मार्ग पर चलता चल
तू अकथ कहानी कहता चल
उत्साह तेरा निर्बल न हो
संकल्प सदा तू दृढ़ रखना
जब तक न तुझको लक्ष्य मिले
मन को अपने सुदृढ़ रखना
तू लक्ष्य पे दृष्टि रखता चल
तू अटल मार्ग पर चलता चल
तू अकथ कहानी कहता चल
तू अकथ कहानी कहता चल
चाहे जितनी बाधाएं हों
हो ऊंचे पर्वत पर चढ़ना
या टेढ़ी-मेढ़ी राहें हों
ये कदम तेरे न रुकें कभी
बस हर पल यूं ही चलता चल
तू अकथ कहानी कहता चल
बाधाएं ये टकराएंगी
तेरा अनिष्ट न कुछ होगा
ये चूर-चूर हो जाएंगी
तू बस आगे को बढ़ता चल
तू अकथ कहानी कहता चल
संकल्प सदा तू दृढ़ रखना
जब तक न तुझको लक्ष्य मिले
मन को अपने सुदृढ़ रखना
तू लक्ष्य पे दृष्टि रखता चल
तू अकथ कहानी कहता चल