पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार पंडित नितिन त्रिगुणायत 'वरी' की एक कविता जिसका शीर्षक है “किसान का दर्द”:
दर्दों को जो सहता हूं मैं,
कभी किसी ने सोचा था क्या,
कोई दुखड़ा सुने न मेरा,
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हीरे जैसी मेरी फसलें,
सदा भावनायें कृषकों की,
बहुत मतलबी है यह दुनिया,
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खेतों में तुम आकर देखो,
फिर भी देखो दुनिया वालों,
उसे जमा गोदामों में कर,
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बाढो़ में तो मेरी फसले,
पड़ता है जब सूखा भारी,
कभी किसी ने सोचा था क्या,
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