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कविता: सोन चेराईया--बिटिया रानी (योगिता चौरसिया, अंजनिया मंडला, मध्य प्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
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सोन चेराईया बिटिया रानी,अब हो गई बड़ी है।
प्यारी बिटिया समझ की पुड़िया, हो गई बड़ी है।।
 
चहचहाना और छम छम कर,घर मे फूदकना।
याद आता है मुझे तेरा,वो प्यारा सा बचपना।।
 
चलते समय गिरना, गिर कर फिर सम्हलना।
बोलने की कोशिश,प्यारा सा वो तुतलाना।।
 
घर के हर काम करती,है माँ की सयानीयाँ।
बाबा की प्यारी भाई की,है दुलारी बिटिया।।
 
प्रेम व सम्मान मे, तू नदियों सी बह जाना।
अपनत्व मे त्याग,समर्पण की मूरत हो जाना।।
 
गर कोई अपमानित करे, बन जाना अंगारा।
रूद्र  चांमुडा भी बन, काली रूप को धरना।।
 
मानव पिसाच का,संहार है फिर तुझे करना।
फिर त्रिशूल उठा,शोलो पर तब तुझे चलना।।