पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार कल्पना त्रिवेदी की एक कविता जिसका
शीर्षक है “वक्त की कीमत”:
वक्त की कीमत का जब पता चला,
वक्त हाथ से फिसलने लगा,
टिक-टिक कर आगे
बढ़ने लगा,
जीवन में सब कुछ
बिखरने लगा,
फिजूल में बेकार
किया जो वक्त,
अब वो अपना रंग
दिखाने लगा,
जिंदगीं हमारी
उजाड़ने लगा।
गुजरा वक्त तो अब
बेशक न आयेगा,
वक्त को कोई नही
थाम पायेगा,
वक्त को अब न
रोकना है,
न वक्त को पीछे
छोड़ना है,
अब बस वक्त के
साथ दौड़ना है
जो वक्त आज है
हमारे पास ,
वही वक्त अब हमें
बनायेगा,
वही वक्त अब
हमारा साथ निभायेगा,
वही वक्त अब हमें
सफलता की ओर ले जायेगा।
वक्त की कीमत का जब पता चला,
वक्त हाथ से फिसलने लगा,