पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार अर्चना राय "खुराफ़ाती" की एक कविता जिसका
शीर्षक है “मोहब्बत बाग”:
दोस्तों !
क्यों ना एकबार फिर हम
आज नफ़रत को त्याग कर
मानवता से अनुराग कर
अराजकता से दूर भागकर
धर्मनिरपेक्षता से राग कर
शाहीन बाग का बैर मिटाते हैं ,
एक "मोहब्बत बाग" बनाते हैं।
क्यों ना एकबार फिर हम
कृषि, विज्ञान और साहित्य
के नए पौधे लगाकर
कूटनीति, कुरीति और अहंकार
हमेशा के लिए दफनाकर
दिनकर, रामानुजन और राजेन्द्र प्रसाद
से फूल खिलाते हैं,
एक "मोहब्बत बाग" बनाते हैं ।
क्यों ना एकबार फिर हम
शिक्षा का स्तर उठाकर,
मजदूरों को बाहर जाने से बचाते हैं,
भारत को एक विकासशील देश से
विकसित देश की श्रेणी में लाते हैं,
एक "मोहब्बत बाग" बनाते हैं।
क्यों ना एकबार फिर हम
जातिवाद और धर्म को मिटाकर
हिंसा की आग बुझाकर
एकता का पैगाम सुनाते हैं,
ईद में राम को गले लगाते हैं ,
क्यों ना मिलकर उन्हें हराते हैं ,
एक "मोहब्बत बाग" बनाते हैं ।