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कविता: चमड़ी देवता (श्याम गुप्ता, वाशाबाड़ी बाजार लाइन, बागराकोट, जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार राजाराम स्वर्णकार की एक कविता  जिसका शीर्षक है “चमड़ी देवता”:


दाद देवता एक ही हैं

बस रूप अलग अलग है

बोले कोई खजुवट कोई  खुजली

इनका महिमा अपरंपार है

जिसको पकड़ ले ना छोड़े

भव सागर पार हो जाये

खुज्ला खूज्ला कर हर कोई

तुम्हारी गुण गान गाये

जालिम लोशन फलाना लोशन

lulibet fungicross

Itroconazole microconazole

ring cutter ringwarm

क्रीम टब्लेट तुम्हारे आगे

अपनी सीस झुकाये

स्किन  डॉक्टरों को

कर देते हो माला माल

हे परम पूजनिय खूंखार देवता

तुम्हारी कृपा मात्र से ही

हर घर में  खजुवट खजुवट

सासूराल मायके मम्हर

हर जगह तुम छाये हो

सब कोई खुज्ला खुज्लाकर

एक दूसरे को नया नया

क्रीम पाऊडर का नाम बताएं

यह लगाओ यह लगाओ

ओर क्या क्या लगाये

हे चमड़ी त्वचा के विषैले देवता

अब तो अपनी दरस दिखाओ

पैसा कौड़ी हो गया बर्बाद

अब तो रहम करो ।