पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार राजाराम स्वर्णकार की एक कविता जिसका शीर्षक है “चमड़ी देवता”:
दाद देवता एक ही
हैं
बस रूप अलग अलग
है
बोले कोई खजुवट
कोई खुजली
इनका महिमा
अपरंपार है
जिसको पकड़ ले ना
छोड़े
भव सागर पार हो
जाये
खुज्ला खूज्ला कर
हर कोई
तुम्हारी गुण गान
गाये
जालिम लोशन फलाना
लोशन
lulibet
fungicross
Itroconazole
microconazole
ring cutter
ringwarm
क्रीम टब्लेट
तुम्हारे आगे
अपनी सीस झुकाये
स्किन डॉक्टरों को
कर देते हो माला
माल
हे परम पूजनिय
खूंखार देवता
तुम्हारी कृपा
मात्र से ही
हर घर में खजुवट खजुवट
सासूराल मायके
मम्हर
हर जगह तुम छाये
हो
सब कोई खुज्ला
खुज्लाकर
एक दूसरे को नया
नया
क्रीम पाऊडर का
नाम बताएं
यह लगाओ यह लगाओ
ओर क्या क्या
लगाये
हे चमड़ी त्वचा के
विषैले देवता
अब तो अपनी दरस
दिखाओ
पैसा कौड़ी हो गया
बर्बाद
अब तो रहम करो ।