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कविता: औरतें अजीब होती हैं!! (प्रीति प्रिया, हैदराबाद, तेलंगाना)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार प्रीति प्रिया की एक कविता  जिसका शीर्षक है “औरतें अजीब होती हैं!!”:

अक्सर ये सुनती हूं ,
औरतें अजीब होती हैं।
भगवान के लिए भी,
इन्हें समझपाना आसान नहीं।
हाँ हो भी क्यूं ना,
खुली आंखों से देखे सपनों का ,
गला घोट देना आसान नहीं ।
घर - परिवार के खातिर,
खुद की खुशियों को भुला देना।
मां - बाप की इज्जत के लिए ,
परंपराओं का बोझ उठाना ।
पति की खुशी के लिए,
अपने ख्वाहिशों को दफनाना ।
अपने दुख ,दर्द, इक्षाओं को,
 मन में दबा कर रखना।
बच्चों की परवरिश के लिए,
अपनी सारी उमर लगा  देना।
ता उम्र छोटी छोटी बातों में,
अपने  खुशियां को तलाशना 
हर कदम पे खुद को ,
सही साबित करने का इम्तिहान देना।
एक औरत के किरदार को,
जीना इतना भी आसान नहीं ।
हाँ ये बिल्कुल सच हैं,
हम औरतें  अजीब होती हैं।।