पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद
पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल
फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत
है। आज
आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार अंजना यादव की एक कविता जिसका
शीर्षक है “कोरोना ये कैसा
कोहराम है तेरा”:
कोरोना ये कैसा कोहराम है तेरा
हंसते आंखों में भी आंसू लेकर आया है।
जान और लेकर जाएगा।
कोरोना ये कैसा कोहराम है तेरा।
जिम्मेदार मैं किसे ठहराऊ।
मैं जिम्मेदार बन जाऊं।
कोरोना ये कैसा कोहराम है तेरा।
साया तुमने ही छीना है।
और ना जाने कितने कोहराम अभी बाकी है तेरे।
कोरोना ये कैसा कोहराम है तेरा।
बयां कर दू मैं कुछ शब्दों में ही।
कोरोना ये कैसा कोहराम है तेरा।
तो कभी उसी रोटी का दाम है लगाया।
हां बस फर्क इतना था ।
मरने के बाद उसी रोटी का मुआवजा है पाया ।
कोरोना ये कैसा कोहराम है तेरा।