पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद
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है। आज
आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार आकृति की एक कविता जिसका शीर्षक है “वतन के लिए”:
कर कुछ वतन के
लिए
मर मिट चमन के
लिए।
नहीं हो तुम कोई
तत्व
ना कोई शरीर हो ,
तत्व तुम्हारा
सेवक है
तुम इसके
गुरुश्रेष्ठ हो,
जागो और पहचानो
खुद को
भारत मा के अमन
के लिए,
कर कुछ वतन के
लिए
मर मिट चमन के
लिए।
जीवन है जो
एकमात्र
न्योछावर कर
आज़ादी पर,
होगा तब गर्व
तुझे
अपनी इस कुर्बानी
पर,
याद कर शौर्यता
उन वीर शहीदों की
भगत आज़ाद जैसे
आज़ादी के वीरो की,
चढ़ गए वो हंसकर
फासी
और जख्म सहे
जंजीरों की,
अडिग रहे फिर भी
वो
शान मात्रभूमि के
लिए,
कर कुछ वतन के
लिए
मर मिट चमन के
लिए।
देश की रक्षा और
शांति की खातिर ,
थी रानी ने तलवार
उठाई
पीठ पर बांधा
बालक को ,
पर रणभूमि में न
पीठ दिखाई
लड़ती रही वो
वीरांगना ,
फिरंगियों को
भगाने के लिए
कर कुछ वतन के
लिए,
मर मिट चमन के
लिए।
है जरूरत आज भी
आज़ादी के नए अफसानों की,
भगत आज़ाद जैसे
आज़ादी के दीवानों की
कहां गए ओ मेरे
देश के नौजवानों,
हो ना जाए कमी
कहीं देश भक्त परवानों की
खड़े न करो अपने
कदमों को लड़खड़ाने के लिए,
है उत्सुकता अगर
आज़ादी पाने के लिए,
उन लाशों का क्या
कोई मजहब है
जो आज भी पड़ी है
दफन के लिए,
कर कुछ वतन के
लिए,
मर मिट चमन के
लिए।