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कविता: नमन तुम्हें है माँ (रंजना बरियार, मोराबादी, राँची, झारखंड)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार रंजना बरियार की एक कविता  जिसका शीर्षक है “नमन तुम्हें है माँ”:

हे श्वेतरूपधरा, वृषभ वाहिनी,
पापनाशिनी, है जगत धारित्री,
कल्याणकरणी,महागौरीति माँ,
कोटि कोटि नमो नमन है  तुम्हें !
नमन है नमन है नमन तुम्हें है माँ
तेज ह्रदय का माँ तुम्हारे, कर रही
धवल तेरी सम्पूर्ण काया...
छलक रहे  हैं  तेज तुम्हारे माँ,
हम भक्तों के जीवन आँगन में!
नमन है नमन है नमन तुम्हें है माँ
हम सब हैं तेरे  ही आसरे माँ,
जीवन दिया है तूमने,उद्धार करो माँ,
सफल करो तुम्हीं माँ....
हम अज्ञानी अगोचर माँ....
नमन है नमन है नमन तुम्हें है माँ
हे पिनाकधारिनी,दुर्गतिनाशिनी,
हम सब हैं तेरे संतान,बोध अबोध हैं,
सब तेरे ही हैं..सबको माफ करो माँ,
धरा के असुरों को तुम्हीं साफ़ करो माँ...
नमन है नमन है नमन तुम्हें है माँ
नमन है नमन है नमन तुम्हें है माँ