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कविता: अच्छा लगता है (नीतू झा, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार नीतू झा की एक कविता  जिसका शीर्षक है “अच्छा लगता है”:

अच्छा लगता है  !
जब जुड़ता है तेरे नाम
के साथ मेरा नाम,
जैसे किसी सुबह के साथ जुड़ी हो कोई हसीन शाम। अच्छा लगता है !
जब मुझे देखते ही बरबस
तेरे चेहरे पर मुस्कुराहट
आ जाती है,
वो तेरा मुझे देर तक
अपलक निहारना
जैसे खामोशियों में भी बहुत कुछ कह जाती है।
तुमसे मिलने के बाद जिंदगी जिंदगी सी लगने लगी है,
मेरी हर कमी जैसे
पूरी सी होने लगी है।
खिजाँ सी मेरी जिंदगी में
तुम दस्तक ए - बहार  लेकर आ गए,
इन फीके उदास अधरों पर तबस्सुम बनकर छा गए। अच्छा लगता है !
आज के इस मतलबी
जमाने में तेरा शिद्दत से
प्यार निभाना,
बिना किसी चाहत के मेरी परछाई बन जाना।
अच्छा लगता है !
जब तुम कहते हो कि
मोहब्बत सिर्फ पाने का नाम नहीं,
ये तो रूह में बसता है।
मोहब्बत नशा नहीं,
इबादत है मेरे लिए
इसमें तो मेरा खुदा रहता है।
मुश्किल है तेरे प्यार को
शब्दों में पिरोना,
अपनी भावनाओं को कविताओं में बताना।
बस जब जब तुम्हारा ख्याल आता है ........
तेरे सजदे में सिर झुक जाता है,
तेरे सजदे में सिर झुक जाता है ......

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