पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार बिना जे सचदेव की एक कविता जिसका
शीर्षक है “दशहरा”:
मैं तो रावण हूँ,
तीनों लोकों मैं मेरे जैसा वीर कोई नहीं।
सती मंदोदरी का पति कहलाता मैं हूँ ।
मेघनाथ का पिता था मैं,
मेरा जैसा जगमें दूजा कोई नहीॆ।
हर रोज एक नया रावण बनते हैं।
जब तक खुदमें बसी बूराई का,
बुराई का खात्मा और,
मैं भी दशहरा मनाना चाहती हूँ।