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कविता: क्या लिखूं उसके बारे में (दीपा गुप्ता, हाजिनगर, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार दीपा गुप्ता की एक कविता  जिसका शीर्षक है “क्या लिखूं उसके बारे में”:
 
अंजान थे तब एक दूजे से हम
जब मिली थी पहली दफा नजरों से नजरें हमारी
बारिश में बैंक की लाइन में खड़े हुए
फिर भी उसकी मुस्कान में, थी एक अगल सी कशिश
जो मुझे ही मुझसे चुराकर खींच रही थी अपनी ओर...
 
सोचा न था
जिंदगी की किसी राह पर
फिर टकराएंगे एक दूजे से हम
पर खुदा को था कुछ और ही मंजूर
 
मिले दुबारा काॅलेज में एक-दूसरे से हम
था तो वो एक अंजनबी ही,
फिर भी लगे वो कोई अपना सा
जितनी उससे दूर भागती ,खुदको उसके उतनी करीब पाती
मानो कोई डोर बांध रही हमें एक दूजे से
दोस्त बनकर उसने कब इस जिंदगी में अपनी जगह बना ली
खबर ही न हुई मुझे उस बात की
 
हुआ जब एहसास उसके प्यार का
पतझड़ में भी हरियाली छा गई
लाख कोशिश की छिपाने उससे अपने हाल-ए-दिल को
न जाने कैसे समझ लिए उसने मेरे जज्बात को
 
करते तो कई है वादे
प्यार में चांद तारे तोड़ लाने के
पर किया उसने वादा
मुझे मुझसे मिलाने का
मेरे सपनों को नयी उड़ान देने का
मेरी उलझनों को सुलझाने का
हर पल मेरे संग रहने का...
 
और क्या लिखूं उसके बारे में, लफ्ज़ कम पड़ जाते है
कल था जो सिर्फ एक अंजनबी , आज वो ही है जिंदगी मेरी....