पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार शैमी ओझा "लफ्ज" की एक कविता जिसका शीर्षक है “दिल की
बातें......”:
बातें तो दिल मैं थी पर हम बता नहीं शके,
इश्क तो बेपनाह
करते थे,
पर हम प्यार का
एकरार नहीं कर पाये
आप आंखों से प्यार का सबुत देते रहै,
हम ए दिल का हाल
आपसे कह नहीं पाये.
यादो मैं आपकी सालो बीत गई,
पर ए बारिश की
बुंदे भी,
प्यार की आग नहीं
बुझा पायी.
निंदे तो हमारी कही दुर चली गई थी।
आंखें हमारी सुख सी गई थी, पिछले सालों मैं,
तो आपने हमे
पराया कर दिया,
यादों मैं आपकी
ठीक से रो भी न पायें हम,
खवाबो की रंगीन
दुनिया में हम बसाते रहे आपको,
प्यार मैं दिवाना
बनते हुए खुद को रोक नहीं पाये.
क्या फायदा एसे प्यार मैं कुरबान होने का,
करीब थे आप हमारे
तो,
हम आपको ठीक से
समज थी नहीं पाये
बातें तो दिल मैं थी पर हम बता नहीं शके,
आप आंखों से प्यार का सबुत देते रहै,
यादो मैं आपकी सालो बीत गई,
निंदे तो हमारी कही दुर चली गई थी।
आंखें हमारी सुख सी गई थी, पिछले सालों मैं,
क्या फायदा एसे प्यार मैं कुरबान होने का,