पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद
पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल
फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत
है। आज
आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार ऋचा प्रकाश की एक कविता जिसका शीर्षक है “बीता हुआ कल ”:
बीत गये जो गम के बादल,
छट गया जो दुःखों
का पहाड़,
बढ़ जीवन में आगे,
भूल जा बीता हुआ
कल ||
जीवन के है दो
पहलू
सुख और दुःख,
रहता है यह जीवन
भर अपना,
कर कोशिश, बढ़ आगे
बना ले अपने
सपनों का महल ||
याद न कर तू
पिछली गलती,
सिख बना ले जीवन
में उसकी,
बन मजबूत,
छू ले अम्बर के
सितारे,
याद न कर तू बीता
कल ||
देख उन पुष्पों
को,
जो महका दे पूरा
बाग,
फिर कल बेजान से
पड़े,
एक उम्मीद लगा कर,
फिर महक उठेगा
पूरा बाग ||
अनेक असफलताएँ के
काटे,
आयेगी तेरे
रास्ते,
निडरता के साथ
डटे रहना अपने रस्ते,
उखाड़ फेक,
कर ले साकार अपने
सपनों को ||
देख उस हरियाली
वृक्ष को,
कभी तो सींचा
उसने अपनी पत्तियों को,
आये पतझड़ के
तूफान,
बहा ले गये उसकी
हरियाली,
न जताया अफ़सोस उस
पर,
एक आस लगी,
फिर खिल उठेगा
उसका आँगन ||
ले ले सपत तू खुद
से,
न कर तू दुनिया
की फिक्र,
रच ले तू इतिहास
अपना,
याद न कर तू बीता
कल ||
बीत गये जो गम के बादल,