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कविता: आधा विरोध मत करो (सत्यम घिमिरे "भुपेन्द्र", जालापाडा बस्ती, बानरहाट, जलपाईगुडी, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार सत्यम घिमिरे "भुपेन्द्र" की एक कविता  जिसका शीर्षक है “आधा विरोध मत करो”:

आधा सर कुचला हुआ गोन्जर
डरा सकता है ,मगर डस नही सकता
 
ठिक उसी तरह
आधा आदमी, आधा विचार या क्रान्ति
किसी काम कि नही होती है
 
आधा विद्रोह
उस कुत्ते कि तरह होता है
जो जंगल मे शेर कि आवाज निकालता है
और मुर्गे से भी मात खाता है
 
मतलब
अन्धकार को मिटाने कि चाहत होने पर
अगरबत्ती जलाने से कोई फायदा नही
 
मै जो कह रहा हु
आपको समझ नही आ रहा होगा
 
मेरे कहने का मतलब है
 
हत्याये हर दौर मे होती है
मगर जहाँ आदमी को आधा मारा जाता है
वो सबसे खतरनाक दौर होता है ।
 
और हम जिस दौर मे है
हमारी आधी हत्या बार बार हो रही है
राजनीति , धर्म , कानुन , जाति
नौकरी, पैसा , बलात्कार ,सुद
सब इसके दावेदार है ।
 
ये खिडची क्रान्ति
सबसे खतरनाक होती है
मै इससे दुर हु
और आप इससे दुर रहे
वरना
आपकि फेफडे तो ठिक होगी
पर आपकी रिढ कि हड्डी टुटी हुई नजर आयेगी ।
 
या तो पूरा विरोध करो
या चुप रहो
खुद को भेड साबित मत करो।