पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार सरिता श्रीवास्तव की एक कविता जिसका शीर्षक है “ए पवन तु जा........":
ए पवन तु जा...
ए पवन तु जा,उनके पास मेरा लेकर एक संदेशा,
आँखे मेरी फरक रही है , ना जाने कौन सा है ये अंदेशा।।
ए पवन तु जा मेरा लेकर एक संदेशा....
मिलने की हो रही है उनसे हसरतें,
बाते बहुत सारी कहने के लिए ये आँखें है तरसते,
खामोश क्यों हो आज तुम क्या मेरा पैगाम ले जाने का नही है तुम्हे कोई मंशा।।
ए पवन तु जा लेकर मेरा एक संदेश....
उठ रही है कई सवाल मन मे आहे भर रही है ये सिसकियां,
जानने को ये बैचैन हो उठी है मन की अंगराइयाँ,
क्या पता वो है कैसे! क्या है उनकी मन की अभिलाषा।।
ए पवन तु ले जा मेरा एक संदेशा....
कहना उनसे कोई पैगाम भेजे,
वक़्त नही तो कोई आयाम भेजे,
और नही संभालता ये खामोशी की दीवारे,
अब उठ चुकी है माथे पर फिक्र की सिकंशा।।
ए पवन तु ले जा मेरा भी एक संदेशा....
तु तो हर जगह जाता है, बिन बुलाये चला आता है,
छुकर उनके एहसासो को लगा लेना पता,
क्या है उनकी बेरूखी की वजह या है फिर कोई और ही वजह,
इतना कर देना मेरा काम तब जाकर दिल करेगी तेरी प्रसंशा।।
ए पवन तु जा लेकर मेरा एक संदेशा...
ए पवन तु जा लेकर मेरा एक संदेशा... ..