पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार सीमा गर्ग मंजरी की एक कविता जिसका शीर्षक है “अहसासों की धुरी पर”:
अहसासों की चंचल सरिता में,
भाव लहरों से झंकृत अन्तस में,
आवागमन है जग में क्यूँ निरन्तर?
कर्म का दर्पण सत्य राह दिखलाता!
कभी निश्चेष्ट क्लांत उर आँगन में,
अहसासों की धुरी मेंं संघर्ष निरन्तर है,
रवि,शशि,संध्या,दिन,रैना के तुष्ट पहरे,
किस शक्ति से ओतप्रोत भण्डार है,
खग कलरव अलि गुनगुन गुँजन में,
मोती सम नहलाती शबनमी दूब में,
कण कण में जीवित वह विद्यमान है!
उनकी मर्जी बिन हिलती ना जुबान है,