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कविता: हम तुम (प्रियंका प्रियदर्शिनी, फरीदाबाद, हरियाणा)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार प्रियंका प्रियदर्शिनी की एक कविता  जिसका शीर्षक है “हम तुम”:

अपनी मशरूफ़ियत में
कुछ पल मेरे लिए रखते
मैं तन्हा न हो जाऊँ
यादों के झूले झुलाते
 
फ़ारिग जब होते
बाहों के घेरे बनाते
मुझे पहनाते फिर
ढेरों बाते करते
 
एहसास जो तुम
बोल नही पाते
मुझसे समझने की
उम्मीद करते
 
घंटो ताकते जो
आखों में मेरी
सारी खवाईश पढ़
ही लेते
 
समय की कोई पाबंदी
नही होती
तुम्हारी बातें खत्म नही
होती
 
इश्क का दरवाज़ा तुम
खटखटाते
मेरी ना की गुंजाइश नही
रखते
 
कुछ है जो तुम अलग हो
सब खुद की खुशी सोचते
तुम मुझमें खुद को ढूँढते