Welcome to the Official Web Portal of Lakshyavedh Group of Firms

कविता: दशहरा पर्व मनाएँ (रीता जयहिन्द, दिल्ली)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार रीता जयहिन्द  की एक कविता  जिसका शीर्षक है “दशहरा पर्व मनाएँ”:

घट-घट में बसे राम हैं।
सबके मन में रमे राम हैं,
करुणा के सागर राम हैं,
भक्ति की गागर राम हैं।।
 
रामभक्त करते मंथन हैं।
शत्रुओं का राम चिंतन हैं,
मन से तज ले पाप रावन,
राम नाम कितना पावन।।
 
राम नाम को जपो निरंतर।
राम मिलेंगे हिय के अंदर,
राम नाम की कर ले पूजा,
राम सम नहीं कोई दूजा।।
 
राम बसे सबके मन मे हैं।
राम हर घर-आँगन मे हैं,
देख तज के पाप रावण,
ह्रदय बनेगा कितना पावन।।
 
जितने रावण सबको मारो।
पुण्य धरा को आज संवारो,
घर-घर में दीपक जलाएँ,
आओ दशहरा पर्व मनाएँ।।