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कविता: हास्य (प्रिया पांडेय, सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार प्रिया पांडेय  की एक कविता  जिसका शीर्षक है “हास्य”:

कुछ भी करलो इस समय हमारे साथ पर काम की बात ना करना।।
आराम करालो चाहे हमसे पूरे दिन पर काम की बात ना करना।।
पिक्चर दिखला दो शॉपिंग करवा दो और फाइवस्टार में डिनर करा दो।।
पार्लर घुमवा दो हर हफ्ते और जुहू बीच पे लेे जाके फोटो खिचवा दो।।
चाहे जितना हमें ऐश करा दो पर काम की बात ना करना।।
घर घर की ताज़ा खबरें लो चाहे गहने जेवर की बातें हो
क्या घटी पड़ोसन के घर में और किसके घर में आया कौन
हरपल की अपडेट हमसे लो पर काम की बात ना करना।।
चाहे तो तुम किट्टी पार्टी या फिर खबरे हो महिला मोर्चा की।।
चाहे बात पड़ोस की बहुओं की या शर्मा जी की बेटी की
इन सब की खबरें  तुम हमसे लो पर काम की बात ना करना।।
चाहे घर में आग लागानी हो चाहे घर की आग बुझानी हो।।
सब की कानों को हम ही भरते गर बात जो मन में ठानी हो।।
झूठे को सच  में मनवा लो तुम पर काम की बात ना करें
चाहे दो तोले का कंगन हो या  या दस तोले का नेकलेस हो।।
चाहे हाथों की अंगूठी हीरे की दो पर काम की बात ना करना।।
चाहे सोलह सोमवार के व्रत रक्खू या खा खा के करवाचौथ रहुं।।
छुप छुप कर खूब खाती ही रहूं पर उफ्फ ना करना है हमको।।
चाहे कसमें पे कसमें खिलवा लो पर काम की बात ना करना।।