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कविता: शिक्षक (प्रीति श्रीवास्तव, बाराबंकी, उत्तर प्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार प्रीति श्रीवास्तव की एक कविता  जिसका शीर्षक है “शिक्षक”:
               
कलम की है ताकत, जिसको शास्त्रों का ज्ञान
ऐसे नहीं हुआ तू गुरु जग में महान
 
अज्ञान को मिटा ,ज्ञान का रास्ता दिया
किसी को भगत, किसी को गाँधी बना दिया
तू ऐसा सृजन कर्ता जिसने काम वो किया
पत्थरों को भी तराश के हीरा बना दिया
अपने से भी ऊंचा दिया, ईश्वर ने स्थान
ऐसे नहीं हुआ तू गुरु जग में महान
 
कलम की है ताकत, जिसको शास्त्रों का ज्ञान
ऐसे नहीं हुआ तू गुरु जग में महान
 
तू राष्ट्र का निर्माता है, तू देश का कर्णधार
है मुट्ठी में तेरे, देश के सारे नौनिहाल
जला दो दिलों में उनके ऐसी एक मशाल
जगमगा उठे ये देश, ऐसा कर दें वो कमाल
शर्म से झुके नहीं, ऊंची रहे ये शान
ऐसे नहीं हुआ तू गुरु जग में महान
 
कलम की है ताकत ,जिसको शास्त्रों का ज्ञान
ऐसे नहीं हुआ तू गुरु जग में महान
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